एक रोज़ जब सुबह हुई
तो जैसे रात दूर न थी
और भान हुआ
कि जब रात आयेगी तो
सुबह बहुत दूर होगी
दिन से रात जैसे सट-सी गयी है
कोई फ़ासला नहीं .
दिन छूट जाता है
निष्प्रयास -
निःश्वास-सा
पर एक पानी का बना पुल है -
पानी का पुल -
कि रात छोड़ दिन पर जाएँ
और जा ठहरें
ठहरना तो सपना है
हक़ीक़त है बहना
पानी के इस पुल पर पाँव धँसते हैं
पुल टूटता नहीं
फट जाता है चित्त - सा
दिन इतनी दूर क्यों है माँ ?
आज तुम्हारे पास सो जाऊँ ?
तो जैसे रात दूर न थी
और भान हुआ
कि जब रात आयेगी तो
सुबह बहुत दूर होगी
दिन से रात जैसे सट-सी गयी है
कोई फ़ासला नहीं .
दिन छूट जाता है
निष्प्रयास -
निःश्वास-सा
पर एक पानी का बना पुल है -
पानी का पुल -
कि रात छोड़ दिन पर जाएँ
और जा ठहरें
ठहरना तो सपना है
हक़ीक़त है बहना
पानी के इस पुल पर पाँव धँसते हैं
पुल टूटता नहीं
फट जाता है चित्त - सा
दिन इतनी दूर क्यों है माँ ?
आज तुम्हारे पास सो जाऊँ ?