नामाबर
मंगलवार, 7 दिसंबर 2010
मुझे शर्म नहीं
कि कविताओं में मेरी
कुछ नहीं सिवा तुम्हारे,
जबकि बातें बहुत हैं.....
बातें बहुत हैं ..
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