बुधवार, 5 जनवरी 2011

पानी का पुल

एक रोज़ जब सुबह हुई
तो जैसे रात दूर न थी
और भान हुआ कि
जब रात आएगी तो
सुबह बहुत दूर होगी


दिन से रात जैसे सट-सी गयी है
कोई फासला नहीं ..
दिन छूट जाता है
निष्प्रयास !
निःश्वास - सा


पर , एक पानी का पुल है --
पानी का पुल
कि रात छोड़ दिन पर जायें , जा ठहरें ..


ठहरना तो सपना है


हकीकत है बहना


पानी के पुल पर पाँव धँसते हैं
पुल टूटता नहीं --
फट जाता है .
चित्त
फट जाता है .


पैरों से मेरे
पानी झरता है


दिन इतनी दू...र
क्यों है माँ ?


 आज तुम्हारे पास सो जाऊँ ?