शनिवार, 29 जनवरी 2011

कैसे बोलता है कोई ,अगर सचमुच,
उसे कुछ कहना होता है ?


कैसे वह दूसरों तक लाया जाता है जो
कहना चाहा गया होता है


हम तो यूँ ही
बोलते हैं अक्सर
सच, हमें कभी ..कुछ भी ..
कहना नहीं होता है


पर
वक़्त मुसीबत
जब कहना होता है तब यही
ज़ेहन में उठता है
कि कैसे बोलता है कोई, अगर सचमुच,
उसे कुछ कहना होता है ?

6 टिप्‍पणियां:

  1. कैसे वह दूसरों तक लाया जाता है जो
    कहना चाहा गया होता है

    यह तो बड़ी लम्बी न्यूरोलोजिकल प्रोसेस है भाई ! दिमाग के दो भाग ---वर्निकाज एवं ब्रोकाज इसमें इन्वाल्व होते हैं ...आगे बड़ी लम्बी कहानी है ..यह न्युरोलिंग्विस्टिक्स है .....लेकिन मुझे पता है कि आप इसकी बात नहीं कर रहे थे.

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  2. अपनी एक पुरानी कविता याद आयी

    http://lghuunmesh.blogspot.com/2009/04/blog-post_11.html

    (इसे कापी करके नये टैब में पेस्ट करके इण्टर दबाईये)

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  3. namskar sir !
    पर
    वक़्त मुसीबत
    जब कहना होता है तब यही
    ज़ेहन में उठता है
    कि कैसे बोलता है कोई, अगर सचमुच,
    उसे कुछ कहना होता है ?

    itana satik ki kaha nahi ja sakata............!

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  4. wo kahavat yaad aa gayi ki bola gaya shabd aur choota hua teer wapas nahi aate.

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